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चतुर्थ बातें तदशुएक्युर। अफ़रद के बारे में बात करते हैं वहीं प्रोफेसर जेएन चक्रवर्ती ने अपने संबोधन में एक कहानी के माध्यम से मातृभाषा को लुप्त न होने तथा संजो कर रखने और सभी भाषाओं का सम्मान करने के साथ ही मातृभाषा के उपयोग पर विशेष अयस्क
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