नाटक के सेट पर ग्रामीण जीवन के साथ -साथ पंजाबी संस्कृति की एक झलक लहा कुट | Vayata कुट कुट के सेट सेट सेट सेट सेट सेट सेट सेट सेट सेट प प ग के के के के के के के के के के के के के के के के

Admin
2 Min Read



तंग मंचपthurीत r नि raugh kana kana बलवंत बलवंत बलवंत बलवंत बलवंत बलवंत बलवंत ने ने ने Kasha कुट के के सैट में ग ग ग ग के के के के के के kanahay सभ kasakauray सभ झलक भी देखने देखने को को को को

मां अपनी बेटी के इस सामाजिक पाप के विरुद्ध चंडी बन कर गर्जती है पर बाद में धीरे -धीरे अपनी जिंदगी के बारे में सोचती है, उसे अपनी बेटी बैणो की याद आती है। उसे उसे है कि बैणो ठीक थी थी थी थी थी थी उसने उसने अपने अपने अपने मन मन मन मन अपने अपने अपने अपने अपने उसने उसने उसने संती संती मन में आग सुलगने है। है। है। है। है। है। उसे rabanahay r औrahair के के झूठे झूठे झूठे झूठे वह kask के r कठो r स r स raurोध विrोध ोध rur है rurती है rurती के के के के के के के जो कुछ भी भी भी कुट कुट में में में में में में वह केवल इस rurahair में बल बल kthas kanak r के rurे r हुए r की की कुचली कुचली कुचली कुचली कुचली कुचली कुचली कुचली कुचली कुचली कुचली कुचली की Chasa में मंचपthirीत, मंदीप rurcur, ran, r दुग दुग, कोमलप, कोमलप, संधु, संधु, संधु, संधु, संधु, संधु, जगदीश, मोहित, मोहित, मोहित, ta, ka, ta, k, k, k, k, k, k, k, k, khaba, ta, k, k, khay, ta, khay, khay, kay, संदीप नाटक के अंत में नाटशाला प्रबंधन की ओर से मंच पर पेशाकारी देने वाले सभी कलाकारों को शिरोमणि नाटककार जतिंदर बराड़ ने सर्टिफिकेट देकर सम्मानित भी किया।



Source link

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *